मंदाकिनी नदी में शुरू हुआ सफाई अभियान: चित्रकूट में मंदाकिनी सैनिकों ने पुल घाट पर किया श्रमदान, 'कचड़ा कहीं न फैलाएं' का लिया संकल्प
डि लाईट न्यूज गरीब की आवाज से यूपी स्टेट हेड मनोज कुमार अग्रहरि की खाश ब्रेकिंग न्यूज चित्रकूट मंदाकिनी नदी में शुरू हुआ सफाई अभियान: चित्रकूट में मंदाकिनी सैनिकों ने पुल घाट पर किया श्रमदान, 'कचड़ा कहीं न फैलाएं' का लिया संकल्प
चित्रकूट में मंदाकिनी नदी पर कर्वी पुल घाट प्राचीनतम है। यहां विशाल शिव मंदिर है। कर्वी के नजदीक इस घाट की स्थिति दयनीय है। जैसा कि हम सब लगातार मंदाकिनी के कैंसर नुमा प्रदूषण को देख और महसूस कर पा रहे हैं। नदी के साथ होने वाले अन्याय को हम दूर से बस किसी तमाशे के रूप में नहीं देखना चाहते। हर घाट बने स्वच्छ, सुंदर और हरियाली फूलों से भरे उद्देश्य को लेकर रविवार को सुबह 6 बजे से मंदाकिनी सैनिकों द्वारा पुल घाट में श्रमदान किया गया। पुलघाट में यह स्वच्छता श्रमदान प्रतिदिन चलाया जाएगा। मंदाकिनी गंगा के लिए आप भी कभी सुबह आएं और मां मंदाकिनी मैया की सेवा में बहुमूल्य श्रमदान के भागीदार जरूर बनें। मंदाकिनी सैनिक नाम से युवाओं की आधा दर्जन टोली, जिसमें जुगनू खान की अगुवाई में राजकरण निषाद, रामधनी यादव, घनश्याम सिंह, प्रमोद कुमार, मोहनलाल, पर्यावरणविद गुंजन मिश्रा आदि द्वारा पुलघाट मंदाकिनी नदी की स्वच्छता हेतु बढ़-चढ़ कर श्रमदान किया गया। इस दौरान घाट में साबुन तेल, शैंपू आदि का प्रयोग न करने के लिए लोगों को जागरूक कर इसके नुकसान के बारे में बताया गया। 'कचड़ा कहीं न फैलाएं' संकल्प भी दिलाया गया। पुल घाट की पूर्ण स्वच्छता तक अभियान के रूप में लगातार श्रमदान करने की योजना है। जुगनू ने बताया, इस अभियान में ज्यादा से ज्यादा लोग श्रम अर्थ और महत्व से जुड़कर नदी प्रदूषण के खिलाफ अपना योगदान करें। साथ ही कचरा न करने हेतु लोगों को एक शपथ के माध्यम से स्वच्छता का संकल्प भी दिलाया जा रहा है। गंदगी से पटे घाटों में फूल और फलों के पेड़ लगाने के साथ उनकी संपूर्ण देखभाल का जिम्मा मंदाकिनी सैनिक का होगा, जो हर हाल में अपने कर्म को
जिम्मेदारी से निभाते रहेंगे। कहां से शुरू होगी नदी सफाई नदी सफाई का प्रमुख केंद्र नदी के घाट हैं, जहां पानी में बहाव न होने से उतराने वाला पानी प्लास्टिक कचरा घाट के इर्दगिर्द जमा होकर सड़न पैदा करने लगता है, जिससे पानी बदबूदार होकर अत्यंत दूषित बन जाता है। दूसरी बड़ी वजह है, घाटों में आने वाले लोग हर तरह का कचरा नदी में फेंक देते हैं, जिसमें प्लास्टिक की बहुतायत संख्या के साथ मृत कर्मकांड के कपड़े लत्ता दवाएं आदि शामिल रहती हैं।
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